Unit -2 भक्ति मार्ग पर यात्रा

विशेष विवरण

जब तक आध्यात्मिक ज्ञान नहीं, तब तक तो जीव माया के नशे में अपना उद्देश्य भूल चुका था और जैसा ऊपर बताया है कि शराबी नशे में ज्येष्ठ महीने की गर्मी में दिन के दोपहर के समय धूप में पड़ा-पड़ा पसीने व रेत में सना भी कह रहा होता है कि मौज हो रही है। परंतु नशा उतरने के पश्चात् उसे पता चलता है कि तू तो जंगल में पड़ा है, घर तो अभी दूर है।
कबीर जी ने कहा है कि:-
कबीर, यह माया अटपटी, सब घट आन अड़ी।
किस-किस को समझाऊँ, या कूएै भांग पड़ी।।

अध्यात्म ज्ञान रूपी औषधि सेवन करने से जीव का नशा उतर जाता है। फिर वह भक्ति के सफर पर चलता है क्योंकि उसे परमात्मा के पास पहुँचना है जो उसका अपना पिता है तथा वह सतलोक जीव का अपना घर है।
यात्रा पर चलने वाला व्यक्ति सारे सामान को उठाकर नहीं चल सकता। केवल आवश्यक सामान लेकर यात्रा पर चलता है। इसी प्रकार भक्ति के सफर में अपने को हल्का होकर चलना होगा। तभी मंजिल को प्राप्त कर सकेंगे। भक्ति रूपी राह पर चलने के लिए अपने को मानसिक शांति का होना अनिवार्य है। मानसिक परेशानी का कारण है अपनी परंपराऐं तथा नशा, मान-बड़ाई, लोग-दिखावा, यह भार व्यर्थ के लिए खड़े हैं जैसे बड़ी कोठी-बडी़ मंहगी कार, श्रृंगार करना, मंहगे आभूषण (स्वर्ण के आभूषण), संग्रह करना, विवाह में दहेज लेना-देना, बैंड-बाजे, डीजे बजाना, घुड़चढ़ी के समय पूरे परिवार का बेशर्मों की तरह नाचना, मृत्यु भोज करना, बच्चे के जन्म पर खुशी मनाना, खुशी के अवसर पर पटाखे जलाना, फिजुलखर्ची करना आदि-आदि जीवन के भक्ति सफर में बाधक होने के कारण त्यागने पड़ेंगे।
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Comments

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  3. जीने की राह सही नही मिलने से अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है
    अपने अमूल्य मानव जीवन को नष्ट होने से बचाए जाने क्या है जीने का सही मार्ग
    जरूर पढ़ें पुस्तक जीने की राह

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  4. शास्त्रविधि को त्याग कर जो मनमाना
    आचरण करते है न तो उन्हें सुख मिलता है न ही सिद्धि प्राप्त होते जो हम अपना रहे है वो सब पाखंड पूजाए है।
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  5. Asli Marg bhakti marag He hai Jis pr chal kar apna Jeevan Kalyan kar sakte hain

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  6. Asli Marg bhakti marag He hai Jis pr chal kar apna Jeevan Kalyan kar sakte hain

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  7. जब तक जनता जगतगुरु रामपाल जी महाराज जी के सत्संग नहीं सुनेगी तो ज्ञान कैसे होगा कि नशा करने के क्या क्या भयंकर परिणाम भोगने पड़ेंगे।

    "मदिरा पीवे कड़वा पानी, सत्तर, जन्म शवान के जानी"

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  8. नशा करने से शरीर को नुकसान होता है परन्तु यह हम नहीं जानते हैं कि यदि नशा करके हम भक्ति करते हैं तो यह विष की तरह कार्य करता है और बिना भक्ति के मनुष्य जीवन बर्बाद हो जाएगा।
    अपने नशे कि लत को छुड़ाने के लिए सच्ची भक्ति करे और उन यथार्थ मंत्र के जाप से सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं। आज ही मंगाए
    ज्ञान गंगा पुस्तक और जीवन धन्य बनाए।

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  9. सच्ची भक्ति करने से क्या लाभ है और जीवन में भी सुखी रहने के लिए और परलोक में भी सुखी रहने के लिए अवश्य पढ़े पुस्तक जीने की राह अधिक जानकारी के लिए देखिए रोज शाम 7:30 से 8:30 साधना टीवी पर और जीने की राह पुस्तक पढ़े ।
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