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ज्ञान गंगा

                     "ज्ञान,, संतो द्वारा बताया जाता है। मनुष्य जीवन इस (84) लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ अथवा अनमोल माना गया है। क्योंकि वह अपनी सभी समस्याओं को बता सकता है। भूख लगती है। तो हाथ से लेकर खाना खा  सकता है शरीर में कुछ दर्द हो तो हाथ लगाकर बता सकता  है। की मेरे पेट में दर्द है या सिर में दर्द है या हाथ/पेर में दर्द है। लेकिन इसी प्रकार कोई पशु अपनी समस्या खुद बता नही सकता।क्योंकि वह मनुष्य जैसा नहीं है। अपनी बात बोल कर प्रकट नहीं कर सकता कारण क्योंकि जब वो मनुष्य था तब सत भगति नही की जिसका परिणाम पशु बनकर भोगना पड़ता है।    मेरे गुरु जी (परमात्मा/भगवान)कहते है। मानुष जन्म दुर्लभ है मिलेना बारंभ बार जैसे तरवर से पता टूट गिरे भोर ना लगता डार।। इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि मनुष्य को जो जन्म मिला है वह जन्म बहुत ही दुर्लभ है अर्थात बहुत ही भाग्यवान आत्माओं को यह जन्म मिलता है और एक बार तुम्हें यह जन्म मिल गया है इसका अर्थ यह नहीं है कि यह बार-बार तुम्हें मिलेगा। मनुष्य जाति हर किसी को बार-बार नहीं मिलती ठीक वैसे ही जैसे वृक्ष का पत्ता एक बार टूट जाता है तो पुनः अपनी ज

Intoxication and worship

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        Intoxication and worship 1. Alcohol:- Garib, pardwara stri ka kholae | sattar janm andha ho dolae ||1 Madira peevae kadva paani | sattar janm shwaan ke jaani ||2 It has been stated in  Speech no. 1 that a man, who develops illegitimate relationship with another woman, acquires seventy births of a blind due to that sin. He suffers in seventy consecutive births of blind donkey (male-female), blind ox, blind man or blind woman. Speech no. 2: - A person, who drinks bitter alcohol-like water, suffers in seventy consecutive births of a dog due to that sin. He drinks water from filthy gutters. When he does not get bread, he e ats faeces.  This precious life is a gift to humans by God. Do not waste it by drinking alcohol. Deitiess also wish to get this human life and you have got it, but you are ruining it by consuming intoxicants. 2. Drugs:-                   Opium weakens one’s body. It stops functioning. It functions only when charged wit

नशा मुक्त समाज

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नशा मुक्त देश की कल्पना नशा मुक्त भारत का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक हम इस जहर से पूरी तरीके से परिचित नहीं हो जाते। नशे से ना केवल शारीरिक अपितु आर्थिक मानसिक तनाव से भी व्यक्ति ग्रस्त रहता है, मानसिक तनाव के कारण अनेकों प्रकार के एल्कोहलिक और सेडेटिव पदार्थो जैसे अफीम, शराब, तंबाखू तथा ड्रग्स का सेवन करते हैं। ये पदार्थ व्यक्ति को अपना शिकार बना लेते हैं और सभी तरह से पराजित कर देते हैं ना वो समाज में सुखी रहता है और ना ही परिवार में । इससे घर की कलह प्रतिदिन बढ़ती है और व्यक्ति आशा से निराशा की तरफ जीवन व्यतीत करता है। फिर भी सबसे दुखद बात तो यह है कि हम किसी नए वर्ष के आरंभ में अपनी खुशी के लिए इन नशीले पदार्थ को पहले अपनाते हैं जो हमारे विनाश का प्रथम कारण है। नव वर्ष पर नवीन विचारो के साथ जीवन का आगाज करना चाहिए ना की बुराइयों को गले लगाकर हमेशा के लिए उनकी जकड़ में बंधे रहना। एक तरफ़ तो आज की युवा पीढ़ी ने नशे को फैशन समझकर भी अपने पैर पर आप कुल्हाड़ी मारी हुई हैं। जिस नशे ने हमारी जिंदगी तबाह कर दी हम उसे अपनी शान समझने लगे हैं। इससे छुटकारा पाना अत्यंत

नया साल, नयी बात

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NEW YEAR,NEW VISION यूं तो पूरे विश्व में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है, और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी नए साल की शुरूआत अलग-अलग समय  होती है। लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी से नए साल की शुरूआत मानी जाती है। चूंकि 31 दिसंबर को एक वर्ष का अंत होने के बाद 1 जनवरी से नए अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष की शुरूआत होती है। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में नया साल शुरू होने के उपलक्ष्य में पर्व की तरह मनाया जाता है। चूंकि साल नया है, इसलिए नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य, नए आईडियाज के साथ इसका स्वागत किया जाता है। नया साल मनाने के पीछे मान्यता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो साल भर इसी उत्साह और खुशियों के साथ ही बीतेगा। लेकिन क्या वास्तव मे ऐसा  होता हे, शायद आपका उत्तर होगा नहीं चूंकि हम जैसा सोचते है वेसा कभी नहीं होता, अगर होता है तो भी भगवान की मर्ज़ी से तो फिर क्यू ना हम नए साल की शुरुवान कुछ अच्छी सी किताबों के साथ करे  अब मे आपको बताता हु कुछ एसी किताबों के बारे मे जो हो सकता है आपके  जीवन को ही बदल कर रख दे।  जीने की राह :- जी हा

मानव जीवन की आम धारणा

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1. मानव जीवन की आम धारणा | जीने की राह मांगुँ कुछ थिर ना रहाई। देखत नैन चला जग जाई।। एक लख पूत सवा लख नाती। उस रावण कै दीवा न बाती।। भावार्थ: - यदि एक मनुष्य एक पुत्रा से वंश बेल को सदा बनाए रखना चाहता है तो यह उसकी भूल है। जैसे श्रीलंका के राजा रावण के एक लाख पुत्रा थे तथा सवा लाख पौत्रा थे। वर्तमान में उसके कुल (वंश) में कोई घर में दीप जलाने वाला भी नहीं है। सब नष्ट हो गए। इसलिए हे मानव! परमात्मा से यह क्या माँगता है जो स्थाई ही नहीं है। यह अध्यात्म ज्ञान के अभाव के कारण पे्ररणा बनी है। परमात्मा आप जी को आपका संस्कार देता है। आपका किया कुछ नहीं हो रहा। उस वृद्ध की बात को मानें कि पुत्रा के होने से वंश वृद्धि होने से संसार में नाम बना रहता है। एक गाँव में प्रारम्भ में चार या पाँच व्यक्ति थे। उनके वंश के सैंकड़ों परिवार बने हैं। उनका वंश चल रहा है। उनका संसार में नाम भी चल रहा है। परंतु शास्त्रोक्त विधि से भक्ति न करने के कारण परमात्मा के विधानानुसार वह भला पुरूष कहीं गधा बनकर कष्ट उठा रहा होगा। वहाँ पर गधे के वंश की वृद्धि करके फिर कुत्ते का जन्म प्राप्त करके वहाँ उस

आओ मनाए #नये_साल_को

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नये साल को आप किस प्रकार मनाते हो, शायद आपका उत्तर होगा जश्न  मानकर लेकीन इस नए वर्ष को कुछ खास तरीके के साथ मनाए । हमने अपनी सोच बदल कर  जैसे हम अश्लील मूर्तियाँ देखते हैं तो अश्लीलता उत्पन्न होती है क्योंकि उस उत्तेजक मूर्ति ने अंदर चिंगारी लगा दी, पैट्रोल सुलगने लगा। ऐसी तस्वीरों को तिलांजलि दे दें। जैसे हम देशभक्तों की जीवनी पढ़ते हैं और मूर्ति देखते हैं तो हमारे अंदर देशभक्ति की प्रेरणा होती है। ऐसी तस्वीर घर में हों तो कोई हानि नहीं।  यदि हम साधु-संत-फकीरों तथा अच्छे चरित्रावान नागरिकों की जीवनी पढ़ते-सुनते हैं तो सर्व दोष शांत होकर हम अच्छे नागरिक बनने का विचार करते हैं। इसलिए हमें संत तथा सत्संग की अति आवश्यकता है जहाँ अच्छे विचार बताए जाते हैं। हम अपनी छोटी-सी बेटी को स्नान कराते हैं, वस्त्रा पहनाते हैं। इस प्रकार सब करते हैं। वही बेटी विवाह के पश्चात् ससुराल जाती है। अन्य की बेटी हमारे घर पर बहू बनकर आती है। अब नया क्या हो गया? यह शुद्ध विचार से विचारने की बात है। इस प्रकार विवेक करने से खानाबदोश विचार नष्ट हो जाते हैं। साधु भाव उत्पन्न हो जाता है। समाचार पत्रों में भ

Unit-5-नशा करता है विनाश......

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पार्ट -1 नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हिरोईन आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपका सर्वनाश का कारण बनेगा। नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है। फिर शरीर का नाश करता है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं:- 1. फेफड़े, 2. जिगर (लीवर), 3. गुर्दे (ज्ञपकदमल), 4. हृदय। शराब सर्वप्रथम इन चारों अंगों को खराब करती है। सुल्फा (चरस) दिमाग को पूरी तरह नष्ट कर देता है। हिरोईन शराब से भी अधिक शरीर को खोखला करती है। अफीम से शरीर कमजोर हो जाता है। अपनी कार्यशैली छोड़ देता है। अफीम से ही चार्ज होकर चलने लगता है। रक्त दूषित हो जाता है। इसलिए इनको तो गाँव-नगर में भी नहीं रखे, घर की बात क्या। सेवन करना तो सोचना भी नहीं चाहिए। एक व्यक्ति दिल्ली पालम हवाई अड्डे पर नौकरी करता था। सन् 1997 की बात है। उस समय उसकी सेलरी (च्ंल) बारह हजार रूपये महीना थी। दिल्ली के गाँव में यह दास (रामपाल दास) सत्संग करने गया। वहाँ एक वृद्धा अपनी तीन पोतियों के साथ सत्संग वाले घर में आई जो नाते में सत्संग कराने वालों की चाची थी। वह गाँव के बाहरी क्षेत्रा में प्लाॅट में मकान बनाकर रहती थी। वह लड़का भी उसी का था जो दिल्ली हवाई